किसे कहते है महामारी , कोरोना वायरस महामारी घोषित

कोरोना वायरस को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी घोषित कर दिया है। इसके अलावा अमेरिका ने संक्रमितों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी को देखते हुए आपातकाल की घोषणा की है। ताजा आंकड़ों के अनुसार 114 देशों में कोरोना के अब तक 118000 मामले सामने आए हैं।



महामारी शब्द उन संक्रमणकारी बीमारियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो एक ही समय में दुनिया के अलग-अलग देशों के लोगों में फैल रही हो। बता दें कि इससे पहले साल 2009 में स्वाइन फ्लू को महामारी घोषित किया गया था। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, जब वायरस बिलकुल नया हो, वह संपर्क के द्वारा आसपास के लोगों को संक्रमित कर रहा हो और उसका कोई इलाज न हो या उससे हो रही मौतों की संख्या तेजी से आगे बढ़ रही हो तो उसे महामारी घोषित किया जा सकता है।

बता दें कि कोरोना वायरस के इलाज का टीका भी अब तक खोजा नहीं जा सका है। दुनिया भर के कई वैज्ञानिक कोरोना के टीके को खोजने में जुटे हुए हैं। हाल में ही रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका ने कोरोनावायरस से प्रभावित फेफड़े की 3D तस्वीर जारी की है।

कोरोना वायरस के महामारी घोषित होने से क्या प्रभाव होगा

सरकारों का ध्यान खींचने में मदद मिलेगी
कोरोना वायरस के महामारी घोषित होने से सरकारों का ध्यान खींचने में मदद मिलेगी। इससे  वैश्विक स्तर पर निष्क्रियता को कम किया जा सकेगा और लोगों को सतर्क करने में मदद मिलेगी। 

फंडिंग में होगी आसानी
कोरोना वायरस के महामारी घोषित होने से अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से मिलने वाली फंडिंग में आसानी होगी। बता दें कि दुनियाभर में कई ऐसे संस्थान हैं जो कोरोना से लड़ने के लिए धन मुहैया करा रहे हैं।

सार्वजनिक कार्यक्रमों के अलावा स्कूल-कॉलेज होंगे बंद
महामारी घोषित होते ही सभी सार्वजनिक स्थलों को बंद करने की कवायद शुरू हो जाती है। इसमें सरकार संक्रमित मरीजों को अलग रखकर इलाज कराती है और जब यह बीमारी तेजी से फैलने लगती है तो सभी सार्वजनिक स्थलों को तत्काल बंद कर दिया जाता है।


कोरोना वायरस को WHO ने एपिडेमिक से पैनडेमिक क्यों घोषित किया





अंग्रेजी के शब्द एपिडेमिक से पैनडेमिक दोनों का अर्थ महामारी ही होता है। लेकिन, दोनों में एक बड़ा अंतर भी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शुरूआत में कोरोना वायरस को एपिडेमिक घोषित किया था। इसका हिंदी में अर्थ एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित रहने वाली बीमारी होता है। लेकिन, बाद में डब्लूएचओ ने इसे पैनडेमिक घोषित कर दिया। इसका मतलब एक ही बीमारी से दुनिया के कई देश संक्रमित हो जाएं।

भारत का महामारी रोग कानून 1897 क्या है
अंग्रेजों ने भारत की आजादी से पहले 1897 में प्लेग और चेचक जैसी बीमारियों से निपटने के लिए महामारी रोग अधिनियम 1897 को बनाया था। अब भारत के कैबिनेट सचिव ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस कानून के खंड-दो को लागू करने का निर्देश दिया है। इस कानून के अंतर्गत निम्नलिखित प्रावधान हैं:


  • सार्वजनिक सूचना (टीवी, अखबार, फोन, पर्चे आदि) के जरिये महामारी के प्रसार की रोकथाम के उपाय करना।

  • सरकार किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह जो महामारी से ग्रस्त है उसे किसी अस्पताल या अस्थायी आवास में रख सकती है।

  • सरकारी आदेश नहीं मानना अपराध होगा और आईपीसी की धारा 188 के तहत सजा भी मिल सकती है। इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

  • महामारी एक्ट में सरकारी अधिकारियों को कानूनी सुरक्षा प्राप्त है। अगर कोई अनहोनी होती है तो सरकारी अधिकारी की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।





कोरोना वायरस पर क्लेम देंगी बीमा कंपनियां



साल 2012-13 या उससे पहले की हैल्थ पॉलिसी पर लिखा होता था कि महामारी घोषित होने पर बीमा कंपनी उस बीमारी पर आपको कोई क्लेम नहीं देगी लेकिन इसके बाद से जो भी इंश्यारेंस प्रोडक्ट बाजार में आये उसमें बीमा कंपनियों को ऐसी कोई छूट नहीं थी कि वह किसी बीमारी को महामारी घोषित होने पर उसका क्लेम देने से मना कर दिया जाए।

भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा कंपनियों को पॉलिसी में कोविड 19 का मेडिकल कवर जोड़ने का निर्देश दिया है। इरडा ने कहा है कि मौजूदा समय में जिस इंश्योरेंस में अस्पताल का खर्च शामिल है, उसमें कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोरोनावायरस (कोविड 19) से जुड़े खर्च को शीघ्र शामिल किया जाए। ये निर्देश इरडा अधिनियम, 1999 की धारा 14 (2) (e) के प्रावधानों के तहत जारी किए गए हैं और तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं। इसके लिए सक्षम अधिकारी की स्वीकृति है।

इरडा ने दिया निर्देश
पहले कोरोनावायरस से लड़ने के लिए इरडा ने बीमा कंपनियों से ऐसी पॉलिसियां लाने को कहा था जिनमें कोरोनावायरस के इलाज का खर्च भी कवर हो। इरडा ने निर्देश दिया है कि अस्पताल में भर्ती होने का खर्च और क्वारंटीन पीरियड के दौरान चल रहे उपचार का खर्च पॉलिसी के नियम और शर्तों के अनुसार मौजूदा नियामक ढांचे में शामिल किया जाए।